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उपस्थिति / केशव
Kavita Kosh से
जंगल ने कहा
पेड़ से:
तुम
हो
हूँ
तब
मैं
कुछ-कुछ मुस्कुराकर
बोला पेड़:
जहाँ नहीं होता मैं
फिर वहाँ कैसे
होते हो तुम?