भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उसके आने से / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
मकान
घर बन जायेगा
नन्हीं चिड़िया में
गायेगा
दीवारों पर पसरा
सन्नाटा
पत्थर हुआ मन
नये उगे कोपल में
कुनमुनायेगा
एक उसके आने से
दफ्तर से लौटती
शाम ढले
सूने दरवाजे पर
लटका ताला खोलती
सोचती है वह