भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक दिन / विक्रम सुब्बा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


थकित बूढो घाम
गोधुली-क्षितिजतिर जब पस्छ
जिन्दगीको हाँगाबाट
मेरो उमेरको एउटा पात
अँध्यारो नदीमा खस्छ…