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और हंसो.... / नीरज दइया
Kavita Kosh से
जरूरी है
हवा का चलना
दिन का ढलना
मैसम का बदलना
जरूरी है
शब्द का आना
गीत का गुनगुनाना
कवि का फुसफुसाना
जरूरी नहीं है
बच्चे का तितली पकड़ पाना
आप कहे रुको तो रुकना....
और हंसो.....।