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कला-1 / भवानीप्रसाद मिश्र
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					कला वह है
जो सत्य के अनुरूप हो
और
उठानेवाली हो
हमारी 
पीढ़ियों को
यों तो हर लापरवाह
साधन बना सकता है
गिरने का सीढ़ियों को !
 
	
	

