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कितनी-कितनी बार / रोहित रूसिया
Kavita Kosh से
कितनी-कितनी
बार किया था
मौसम ने आगाह
हम ही तो ना माने
तस्वीरों में
रंग तुम्हारे
अनजाने ही आये
सपनों में
संकेत तुम्हारे
जाने कब थे पाए
फूल बिना
कुछ उगती गंधें
कैसे हुयी
अथाह
हम ही तो ना जाने
नयन झील
के दीप हुए
जाने कब
नाम तुम्हारे
कब अधरों के
शब्द लगे ढलने
गीतों में सारे
फागुन बिन ही
रंगों भीगी
मन की कोरी चाह
अब माने ना माने
कितनी-कितनी
बार किया था
मौसम ने आगाह
हम ही तो ना माने