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क्यों होती हो उदास सुमन / सविता सिंह

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क्यों होती हो उदास सुमन
जैसे अब और कुछ नहीं होगा
जैसा आज है वैसा कल नहीं होगा
क्यों डूबती हैं तुम्हारी आँखें कोई तारा रह-रहकर जैसे

देखो हर रात चाँद भी कहाँ निकलता है
जबकि आसमान का है वह सबसे प्यारा
आओ उठो हाथ मुँह धोओ
देखो बाहर कैसी धूप खिली है
हवा में किस तरह दोल रही हैं चम्पा की बेलें

क्यों होती हो उदास कि जो गया वह नहीं लौटेगा
जो गया तो कोई और लौटेगा
ख़ुशी के लौटने के भी हैं कई नए रास्ते
जैसे दुःख की होती हैं अनगिनत सुरंगें