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घृणा से बिल्कुल नहीं / केशव तिवारी
Kavita Kosh से
घृणा से नहीं बिल्कुल नहीं
प्रेम करने की कोशिश में
मारा जाऊँगा
किसी हत्यारे, किसी भय से नहीं
शान्ति के आश्वासनों पर किए विश्वास
से मरूँगा
धूर्तों की धूर्तताओं से तो बच लूँगा पर
हे सन्तो ! आपके आप्त वचनों से
न बच पाऊँगा