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चंदा मामा / शकुंतला सिरोठिया
Kavita Kosh से
चंदा मामा ठहरो थोड़ा,
कहाँ चले तुम जाते हो?
खेल रहे क्या आँख मिचौनी,
बादल में छिप जाते हो।
मुझे बुला लो, मैं देखूँगा
कितने हो छिपने में तेज!
नहीं पकड़ पाओगे मुझको,
मैं दौडूँगा तुमसे तेज।