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चलें बिलैया खेलै ले / विजेता मुद्गलपुरी
Kavita Kosh से
कुत्ता भैया रोज कहै छै, चलें बिलैया खेलै ले
बाहर नरम बियार बहै छै, चें बिलैया खेलै ले
घेरल-घारल ई ऐंगना में
काम-धाम के भीड़-भाड़ छै
तन्नी गो रस्ता छै खुल्ला
ओकरो में लटकल ओहार छै
बाहर मंगला खेल रहल छै, चलें बिलैया खेलै ले
कुत्ता भैया रोज कहै छै, चलें बिलैया खेलै ले
रीतू दी के गोदी छोड़ें
बाहर के आनन्द उठाबें
अरी बाघ की मौसी बिल्ली
निकलें घर से बाहर आबें
ई खेलै के ठीक समय छै, चलें बिलैया खेलै ले
कुत्ता भैया रोज कहै छै, चलें बिलैया खेलै ले
चलें लोग सब के देखलैबै
हम तों मिल के खेल अजूबा
लोग-वेद सब सीख सीखतै
कुत्ता-बिल्ली मेल अजूबा
जे हम्मर आचरण गहै छै, चल ओकरा देखलाबै ले
देखतै केन्ना साथ रहै छै, चलें बिलैया खेले ले