भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चिटिकनी और अंतरताप / जय छांछा
Kavita Kosh से
आँख
नाक
चमडी
ह्रदय
समग्र में शरीर है प्रेम ।
देखना
सूँघना
स्पर्श
धड़कन
जीवन की अनुभूति है प्रेम ।
अर्थात्
दरवाजे के दो पल्लों को
खिड़की की दो खापों को
जोड़ने वाली
चिटकिनी और
अंतरताप में
मधुर संबंध बताने वाला
स्वाभाविक क्रिया है प्रेम ।
मूल नेपाली से अनुवाद : अर्जुन निराला