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जलते वसंत-सा मैं / शिव रावल
Kavita Kosh से
अब कोई उमंग न है ज़िंदगी
तुन आज़ाद है मुझसे, मैं भी रहूंगा ख़फ़ा तुझसे
अब तुम मुझको देखकर अनजानी-सी पेश आना
और मैं तुमको भूलने का तलाशता हूँ कोई बहाना
आज समझा के क्यूँ जन्मों का संकल्प काम न आया
मेरे जन्मों को तरसता होगा शायद कोई भटकता साया
मैं जटिल हूँ, मेरा संग भी तो है जलते वसंत-सा 'शिव'
अभी और सुलगना है मुझे, मेरी अग्नि को सहेजेगी जाने कौन वह छाया