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जात्रा (1) / निशान्त
Kavita Kosh से
पुस्कर (अजमेर) गया
नामी सरोवर देख्यो
कीं खास नीं लाग्यो
केरू (जोधपुर) गया
निगै आ’गी
खाणां
अर बां स्यूं
कटता बडता
सुंवरता-निकळता
बदामी रंग रा भाटा
जकां स्यूं
बणेड़ो हो
सै’र अर इलाकै रो
हर घर , हर भवन
बां बेनामी खाणां ने
निमण करण रो
जी करै हो ।