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जुगनू भाई / बालस्वरूप राही
Kavita Kosh से
“जुगनू भाई, जुगनू भाई, कहाँ चले?”
“ जहाँ अँधेरा छाया, हम तो वहाँ चले।”
“ जुगनू भाई, अँधियारे मे क्यों जाते?”
“ भूली-भटकी तितली को घर पहुँचाते।”
“ जुगनू भाई, किस की टॉर्च चुराई है ?”
“ हम ने तो यह चमक जन्म से पाई है।”
“ जुगनू भाई, हम को भी चमकाओगे?”
“ चमकोगे, जब काम किसी के आओगे।”