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तितलियों के पीछे / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
क्या हो गया तुम्हें फोटोग्राफर
क्लिक की यह कर्कष ध्वनि
एक भयावह डार्करूम
एक के बाद एक वैसी ही तस्वीरें
छपती हैं धड़ाधड़
इतनी निश्चेष्ट और विस्फारित
ये किसकी आँखें
किसके हाथ हैं इन तस्वीरों में
कि खून फैल रहा है
समय की म्लान छाती पर
यह किस आदमी का चेहरा
कि जीवन की धुक-धुक गायब
बंद करो फोटोग्राफर
यह भयानक दृष्यांकन
देखो एक बच्चा दौड़ रहा है पार्क में
तितलियों के पीछे