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थोड़ी सी ऊष्मा / शैलेन्द्र चौहान
Kavita Kosh से
प्रक्रिया मे पेड़ बनने की
कोई पौधा चाहता है
थोड़ी सी ऊष्मा, थोड़ा सा जल
और थीड़ी ईमानदारी
परवरिश में
ठीक यही
यही सब कुछ
ऊष्मा थोड़ी सी, स्नेह
थोड़ी ईमानदारी
होती है ज़रूरी
संबंधों में भी
आदमी और आदमी के
बढ़ते जाते हैं पग
अनुभूति बनी रहती है
आनंद की मन में
बना रहता है प्रवाह
जीवन में