भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दुपहरी-2 / नंदकिशोर आचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

  
घने झुरमुट में बिछी
            है पत्तों की शैय्या
सो रही है छाया

चुपके-से आ कर
      चूमता सूरज—
लजाती हुई छाया
सेज पर कुछ सरक जाती है
—जगह करती हुई ।

27 अगस्त 2009