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धूप / रफ़ीक सूरज
Kavita Kosh से
सदासर्वदा बिना कुछ कहे
छायाओं का
उत्पादन करने वाले पेड़
वैश्विक मन्दी के इस दौर में
सरेआम फैली हुई
धूप की इस अपरिमित पूँजी का
अब किस भरोसेमन्द
व्यवसाय में
निवेश करेंगे?
मराठी से हिन्दी में अनुवाद : भारतभूषण तिवारी