भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नियति / अशोक अंजुम
Kavita Kosh से
बच्चा
घर के सामने
मिट्टी में खेलता था
देखते-देखते
बड़ा हो गया
और
डिग्रियों की टोकरी बनाकर
उठाने लगा मिट्टी