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पहली किरण / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

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प्रात किरणियाँ ललकारै छै
भेलै दूर अन्हेरिया रे
गाँव-गाँव आरो शहरोॅ के
चमकै घोॅर अटरिया रे॥

फूल खिलै क्यारी-क्यारी में
चन्दन बहै बयरिया रे
भौंरा फुसकेॅ मौं-मांछी सें
लख ऊभरलोॅ उमिरिया रे॥

कारों चुनरी छोड़ी पहिरै
पिय के पीत चुनरिया रे
माथें छैला हाथे डोरी
लचकी चले कमरिया रे॥