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पारिजात / जगदीश गुप्त
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पारिजात,
हरित नील आँखों-सा पात-पात ।
दूबों-सी झुकी-झुकी पलकों पर,
किरनों की खुली-खुली अलकों पर,
धवल-अरुण चुम्बनों से फूलों की बरसात ।
हरित-नील आँखों-सा पात-पात,
पारिजात ।
वन्दन की रेखा पर चन्दन की पँखुरी,
चुपके से आँचल में ढलने की आतुरी,
प्राणों पर बरस रहे चुम्बन से फूल,
डालों की बाँहों के आसपास,
अटक रहे गन्ध के दुकूल,
स्वर्गिक तरु : सपनों की खिली पाँत ।
हरित-नील आँखों-सा पात-पात ।
पारिजात ।