भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेमरंग-पगे जगमगे जगे / आलम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

प्रेमरंग-पगे जगमगे जगे जामिनी के,
       जोवन की जोति जगी जोर उमगत हैं.
मदन के माते मतवारे ऐसे घूमत हैं,
       झूमत है झुकि झुकि झेंपि उघरत हैं.
आलम सो नवल निकाई इन नैनन की,
       पाँखुरी पदुम पै भँवर थिरकत हैं.
चाहत हैं उडिबे को,देखत मयंक मुख,
        जानत है रैनि तातें ताहि में रहत हैं.