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बचपन / रेणु हुसैन
Kavita Kosh से
बचपन हमसे ऐसा रूठा
चला गया मुख मोड़कर
उम्र की देहरी लांघकर
सारे रिश्ते तोड़कर
अब करेंगे याद उसे
सारी यादें जोड़कर