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बांस बॅन / विकास पाण्डेय
Kavita Kosh से
हमरा नै पानी के चिन्ता
नैं बतासॅ के
हमरा नै जेठॅ के डॅर
नै पूसॅ के
ई सभ्भे हमरॅ पचैलॅ छै
जुड़ाबै छी मन
हम्मे छिकां बांस बॅन
जों सहलाबै छै पुरबा तेॅ
जों सहलाबै छै पुरबा तेॅ
बाँसुरी के तान छेड़ै छियै
पत्ता सें करताल दै छियै
जों छेढ़ै छै अंधड़ तेॅ
जों छेड़ै छै अंधड़ तेॅ
धनुषटंकार करै छियै
नागॅ रं फुफकार करै छियै
तखनी हमें नाग
जेना काढ़ै छै फॅन
हम्में छिकां बांस बॅन।