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बाज / ललित केशवान
Kavita Kosh से
मिन बोलि बोडाजी
अब त अपणु राज ऐगे
सत्ता बी अपणा हात मा
पत्ता समेत ऐगे
परसे मंत्री जी छा बोलणा
बल चिन्ता नि कारा
जरा धीरज धारा
अब त सब जातिवाद का
जत्या नथे जाला
अर समाजवाद का बेपुच्छा सांड पळे जाला।
बोडाजी न बोलि बाबा
बाद-बाद त मि नि जणदो
पण हां बाज-बाज बोल
अज्काल सब बाज बण्यां छन
जातिबाज, पैसाबाज, दारूबाज, ध्वकाबाज
छुर्राबाज, तुर्राबाज, लगडिबाज, गवदडिबाज,
पत्तीबाज, गप्पीबाज, लटकाबाज, झटकाबाज,
सटकाबाज, पटकाबाज
अब त वी बोल लाटा
जख इथगा बाजी बाज ह्वाला
वे मुल्का क्य हाल ह्वाला।।