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बीजने / पवन करण
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इस बीच सब इन्हें भूल जाते हैं 
किसी को याद नहीं रहता  
सींकों पर पुराने कपड़ों   
और रंगीन धागों की कारीगरी 
घर में किस जगह रखी है   
कोई नहीं बता पाता   
खजूर के पत्तों में बसे   
ठंडी हवा के झोंके   
किस कोने में पड़े हैं घर के   
पर ज्यों ही मौसम की देह   
दहकना शुरू होती है   
वह इन्हें बाहर निकालती है   
और कहती है
क्या भरोसा बिजली का
	
	