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बूढ़ो समन्दर / कन्हैया लाल सेठिया

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बूढ़ो समन्दर
सूतो सूतो
अचपळी लहराँ नै
गीरगटी कर’र रमावै,
लहराँ ऊँधी हुवै जणाँ
खूँजै में भेळा कर्योड़ा
संख-सीप तिसळ’र
रेत में रळ ज्यावै !