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मात-पिता-गुरु-भक्ति / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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 मात-पिता-गुरु-भक्ति, एकपत्नीव्रत पावन।
    भ्रातृप्रेम, शरणागतवत्सलता मनभावन॥
 परम मधुर सौन्दर्य काम-शतकोटि-लजावन।
    त्याग, शान्ति, वैराग्य, ज्ञान मुनि-चित लुभावन॥
 शौर्य-नीति-बल-तेज शुचि उपजावत मन हर्ष है।
     दुष्ट-दलन, सेवक-सुहृद राम परम आदर्श है॥