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मुँहासे / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर
Kavita Kosh से
गेंदे के कुछ फूल खिले हैं
गुलाबों की क्यारियों में
उनकी अवांछित नागरिकता पर
गुलाब उठाते हैं सवाल –
“तुम यहाँ क्यों ?”
ढीठ हैं फूल गेंदे के
सिर उठाकर देते हैं जवाब –
“वसंत से पूछो!!”