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मुसीबत की घडियों में / वेणु गोपाल
Kavita Kosh से
तुमने
मेरे बावजूद
मुझे प्यार किया है
1975 के बावजूद
किया है मुझे उम्मीदों से लबरेज़।
अमानवीयता के केनवास पर
मानवीय ख़ूबसूरती का शाहकार रही हो--
इस घनघोर अंधेरे में भी
मेरी यात्रा-दिशाओं को ढूंढ देने वाली
कितना-कितना शुक्रगुज़ार हूँ मैं।
कि ऎसे कविता-अंतक समय में भी
तुमने
मेरी कविताओं की दुनिया को मुमकिन
बनाए रखा है।
जब भी कभी
नहीं होगा कोई वर्ष
1975 जैसा
तो किस क़दर याद आएगा मुझे
मुसीबत की घड़ियों में किया गया
तुम्हारा यह प्यार।
रचनाकाल : 14 नवम्बर 1975