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लड़की - 1 / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
लड़की
अचानक हो गयी
गुमसुम
भूल गयी हंसना,
चहकना
झूम के चलना
जीवन से
रोज ठन जाती उसकी -
कभी जीतती,
हारती कभी
लड़की की विकास - यात्रा
कम हुई ऊर्जा,
सम्भावनाएं
देख रही हूँ बदलना उसका
हताष बुझी प्रौढ़ा में
और समझ रही हूँ संबंध
जीने और चुकने के बीच