भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वायुयान / मुंशी रहमान खान
Kavita Kosh से
यान बनाए बहुत नर वायुयान परधान।
अमित भार लेकर उडै़ चलै मारग असमान।।
चलै मारग असमान जहाँ नहिं खग प्रभुताई।
दूर देश की राह छिनक महं तय कर जाई।।
जौन चलावैं यान नभ ईश दीन्ह बुधि ज्ञान।
धन्यवाद रहमान दे जिन निर्मायो यान।।