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शब्द उतर आये / शुभम श्रीवास्तव ओम
Kavita Kosh से
इधर-उधर में खोये
कुछ सर को खुजलाये
शब्द उतर आये!
शून्य हुआ चेहरा
रख हाथों पर सोचें
हल्के से पलकों पर
उँगली से कोंचे
गहरी-सी साँस भरी
देत तक जम्हाये
अक्षर अँखुआये!
लिख-लिखकर काट रहे
खुद पर झुँझलाते
कैसे भी बचना है
खुद को दुहराते
ऐसा कुछ उभरे जो
पंख फड़फड़ाये
बोले-बतियाये!
थोड़ा-सा हाल-चाल
ढेर-सी बकैती
बिम्बों के बीज-पौध
गीतों की खेती
घर से बाज़ार तलक
सब सधे-सधाये
बोहनी कर आये!