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शाम-1 / केशव शरण
Kavita Kosh से
मंद हुआ
दिन का उजाला
तीव्र हुआ
चिड़ियों का चहचहाना
तीव्रतर हुई
मेरी पीड़ा
जिसका कोई न उपचार
सिवाय प्यार