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संसार सराय / मुंशी रहमान खान
Kavita Kosh से
है संसार सराय यह देखहु नजर उठाय।
रात भरे का पाहुना भोर होत उठ जाय।।
भोर होत उठ जाय डरहु तुम शक्तिमान से।
करहुँ दीनहित प्रेमनित बचहु क्रोध अभिमान से।।
सुख दुख जानहु एक सम यहि जीवन का सार है।
कहैं रहमान भजन बिनु हरि कै सच संसार सराय है।।