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सर्कस / अपूर्व भूयाँ
Kavita Kosh से
जो गोलाकार पथ से दौड़ रहा है
सर्कस का घोड़ा
आप उसका परिधि में
बिजली सी चमक रहा है चाबुक
आप मदहोश हैं चाबुक की लहक से
या गड़गड़ाते है
सर्कस के शेर की तरह
पिंजरा में !
एक रस्सी की ऊपर से झूल झूल के
गुज़र रहा है आपका झिझकता हुआ समय
आप जोकर हैं क्या
हँसते हँसते रोते हैं
रोते हुए हँसते हैं
गोलाकार पथ से दौड़ रहा है
सर्कस का घोड़ा ।