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सावन की बूँदें / आनंद गुप्ता
Kavita Kosh से
केले के पत्तों पर
बूँदें मोतियों सी उछल रही है
नीचे उछलते कूदते बच्चे
अंजुरी भर भर कर
लूट रहे हैं सृष्टि का वैभव
सावन
बच्चों की हँसी मे झर झर बरस रहा है ।