भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हक़ीक़त / खेलो ना मेरे दिल से

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रचनाकार: ??                 

खेलो ना मेरे दिल से, ओ मेरे साजना

मुस्कुरा के देखते तो हो मुझे, ग़म है किस लिये निगाह में,
मंज़िल अपनी तुम अलग बसाओगे, मुझको छोड़ दोगे राह में ,
प्यार क्या दिल्लगी, प्यार क्या खेल है
खेलो ना ...

क्यूँ नज़र मिलाई थी लगाव से, हँसके दिल मेरा लिया था क्यूँ ,
क्यूँ मिले थे ज़िन्दगी के मोड़ पर, मुझको आसरा दिया था क्यूँ
प्यार क्या दिल्लगी, प्यार क्या खेल है
खेलो ना