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हरिद्वार की घाटी / शिवबहादुर सिंह भदौरिया

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एक
दिया है-पर्वतीय घाटी
हरिद्वार की,
वर्त्तिका: इन्द्रधनुष
क्या कहने
सप्तरंगी उजियार की;
आज सँझवाती किसी की
छोड़कर गुण-धाम,
आ गयी
यायावर के काम।