भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हिंदी वाली मेरी मैडम / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
हरदम हँसती ही रहती है
हिंदी वाली मेरी मैडम।
हँस-हँसकर मुझको समझाती,
हँसते-हँसते पाठ पढ़ाती।
कभी सुनाती गीत सुरीले,
नई कहानी कभी सुनाती।
कभी न गुस्से से झुँझलाती,
कभी न मुझको डाँट पिलाती।
जैसे फूलों की हो क्यारी,
मेरी मैडम प्यारी-प्यारी।