कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- मज़दूरों के लिए / चन्द्र
- मैं प्यार करता हूँ इस देश की धरती से... / चन्द्र
- कोई अपना नहीं है अपनी सी लगती इस दुनिया में / चन्द्र
- इसलिए आज भोर से ही बारिश हो रही है / चन्द्र
- कभी-कभी / चन्द्र
- जब -जब मेरी माई रोतीं हैं / चन्द्र
- ऐ पूँजीपति कवियो ! / चन्द्र
- अभी भी / चन्द्र
- रुदन / चन्द्र
- जेठ की चनचनाती दुपहरी में / चन्द्र
- उसकी लहू-सी लाल आँखों में... / चन्द्र