तिलोक चंद 'महरूम'
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जन्म | 01 जुलाई 1887 |
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निधन | 1966 |
उपनाम | 'महरूम' |
जन्म स्थान | मियांवली, पंजाब, अविभाजित भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
तिलोक चंद 'महरूम' / परिचय |
ग़ज़लें
- दस्त-ए-ख़िरद से पर्दा-कुशाई न हो सकी / महरूम
- फ़ित्ना-आरा शोरिश-ए-उम्मीद है मेरे लिए / महरूम
- हमारे वास्ते है एक जीना और मर जाना / महरूम
- हिज्राँ की शब जो दर्द के मारे उदास हैं / महरूम
- होते हैं ख़ुश किसी की सितम-रानियों से हम / महरूम
- इस का गिला नहीं के दुआ बे-असर गई / महरूम
- कम न थी सहरा से कुछ भी ख़ाना-वीरानी मेरी / महरूम
- ख़ुदा से वक़्त-ए-दुआ हम सवाल कर बैठे / महरूम
- क्या सुनाएँ किसी को हाल अपना / महरूम
- ताएर-ए-दिल के लिए ज़ुल्फ़ का जाल अच्छा है / महरूम
- ये किस से आज बरहम हो गई है / महरूम
- बेज़ुबानों पर रहम / महरूम