रचनाएँ
- उन्हीं के लिए / महेंद्र नेह
- साथी, संस्कृति एक न होई / महेंद्र नेह
- साधो, मिली-जुली ये कुश्ती / महेंद्र नेह
- साधो, घर में घुसे कसाई / महेंद्र नेह
- साधो, यह कैसा मोदी / महेंद्र नेह
- हम सर्जक हैं समय-सत्य के / महेंद्र नेह
- इतने दर्द नहीं थे इससे पहले / महेंद्र नेह
- उमस भरे दिन, एक नहीं, दो नहीं, अनगिन / महेंद्र नेह