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डॉ० अम्बेडकर के लिए / नामदेव ढसाल
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आज हमारा जो भी कुछ है
सब तेरा ही है
यह जीवन और मृत्यु
यह शब्द और यह जीभ
यह सुख और दुख
यह स्वप्न और यथार्थ
यह भूख और प्यास
समस्त पुण्य तेरे ही हैं
'तेरी उँगली थाम चला हूँ मैं' नामक कविता-संग्रह से।