भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुगती / प्रमोद कुमार शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:10, 21 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद कुमार शर्मा |संग्रह=बोली तूं सुरतां / प्र…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


ऐक हो जादूगर,
दिखांवतो तरियां-तरियां रा सुपना
अर चलावंतौ दुनिया पर हुक्म ....!
घणी पछै ठा पड़यौ कै
बीं री सारी त्याग्त भासा है।

अब सुवाल ओ है
भासा नै कुण छुड़ावै
बीं जादूगर री कैद स्यूं ?