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वो तफ़व्वुतें हैं मेरे खुदा कि ये तू नहीं कोई और है / फ़राज़

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मुत्तफ़ावतें हैं मेरे ख़ुदा कि ये तू नहीं कोई और है
कि तू आसमान पे हो तो हो पिसर-ए-ज़मीं कोई और है

वो जो रास्ते थे वफ़ा के थे ये जो मन्ज़िलें हैं सज़ा की हैं
मेरा हमसफ़र कोई और था मेरा हमनशीं कोई और है

मेरे जिस्म-ओ-जाँ में तेरे सिवा और कोई भी दूसरा
मुझे फिर भी लगता है इस तरह कि कहीं कहीं कोई और है

मैं असीर अपने गज़ाल का मैं फ़क़ीर दश्त-ए-विसाल का
जो हिरन को बाँध के ले गया वो सुबुकतगीं कोई और है