भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पापा / मनविंदर भिम्बर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:11, 29 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनविंदर भिम्बर |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> पापा ! मेरे प्…)
पापा !
मेरे प्यारे पापा !
मैं इंतज़ार करती रही
चाकलेट का
गुड़िया का
उस दिन पापा नहीं आए
पापा का शरीर आया
तिरंगे में लिपटा हुआ
माँ ने बताया
पापा शहीद हो गए हैं
आसमान में तारा बन गए हैं
पापा ! .....मेरे प्यारे पापा !!