भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुद्दत से आँख नहीं झपकी / कुमार अनिल

Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:07, 31 दिसम्बर 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुद्दत से आँख नहीं झपकी
है कहाँ वो माँ वाली थपकी

उस सुख को क्या बतलाऊँ
पापा कह कर बिटिया लपकी

आँसू बनकर फिर लाचारी
उन बूढी आँखों से टपकी

फिर आज पिता ने बच्चा बन
वर्षा के जल में छप छप की

फिर बहुत दिनों के बाद आज
हमने भी खुद से गपशप की/>