भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सिगरेट और प्यार / विमलेश त्रिपाठी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:51, 6 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विमलेश त्रिपाठी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> दोनों ही मा…)
दोनों ही
मार देते हैं धीरे-धीरे
फिर भी
यह आदत है
कि छुटती नहीं कभी
इस एक जगह
जान-बूझ
मरना चुनते हैं हम
और हमें दु:ख नहीं होता..