भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

साधारण मनुष्य / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:07, 9 जनवरी 2011 का अवतरण ("साधारण मनुष्य / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिसका कोई समाचार नहीं है
किसी अख़बार में
मैं वही साधारण मनुष्य हूँ
अनाम मर गया मैं
वृहत् संसार में
समय के चक्र से
कटकर
जब तक जिया
प्रताड़ित जिया मैं
जब मरा
फिर न जन्मने के लिए मरा मैं

रचनाकाल: १४-१०-१९६५